Thursday, 29 August 2024

Wyndham falls की दरी जलप्रपात - Wyndham Water Fall Mirzapur History

 कभी कभी हम दुनिया घूम लेते हैं लेकिन अपने नजदीक के इलाकों की खूबसूरती को नहीं परख पाते। 

बनारस में हैं तो मिर्जापुर जरूर जाएं यहां के मशहूर wyndham falls को एकबार इतिहास के आईने से देखिए तो पता चलेगा इसका नाम अंग्रेजी साहसी सैनिक percy wyndham के नाम पर पड़ा क्योंकि क्योंकि उन्होंने ही इसे खोजा। 

 

 
इस पर हमारे मित्र प्रो. शरद जी ने अच्छा लिखा है इसे साझा कर रही हू. आप जरूर पढ़े। अच्छे/ इतिहास के जानकर और घूमने/ खाने के शौकीन दोस्तों के साथ घूमने का अनुभव यात्रा में चार चांद लगा देता है और आपके दो दिन कैसे हमेशा के लिए यादगार बना जाते हैं 
 
यह हमें रचना और शरद जी के साथ घूमकर अहसास हुआ। कुछ फोटो साझा कर रही हूं और शरद जी का लिखा भी उस wyndham fall के बारें कुछ खास है साथ में उनकी तस्वीर भी और 1914 क्या बना वह बंगला भी जहां बस percy Wyndham fall को देखा करते थे ( हम सभी ने भी 25 अगस्त 2024 को कुछ वैसे ही फील के साथ ताजी हवाओं के झोंको के बीच उसी बंगले के सामने फोटो खिंचाई.....
 
शुक्रिया शरद जी और रचना जी तबियत के साथ मिर्जापुर को दिखाने और नए स्वाद से भी रू-ब-रू कराने के लिए
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सैलानियों को आकर्षित करने वाले मिर्ज़ापुर के प्रसिद्ध जलप्रपात का नाम विन्ढम फॉल क्यों पड़ा और ये विन्ढम साहब आखिर थे कौन? ये जानना काफी दिलचस्प है। 
 
सन् 1900 के आस-पास मिर्ज़ापुर अकाल और प्लेग महामारी की भारी मुसीबत से जूझ रहा था। उसी समय सन् 1900 में पर्सी विन्ढम मिर्ज़ापुर के कलेक्टर बन कर आये। 
 

 
उनकी सूझबूझ और दूरदर्शिता से इन दोनों मुसीबतों पर विजय प्राप्त कर ली गयी। विन्ढम साहब के मिर्ज़ापुर से गहरे लगाव के चलते यहां के एक प्रसिद्ध जलप्रपात का नाम विन्ढम फॉल रखा गया और इस जल प्रपात के ऊपरी हिस्से में 1914-15 के दौरान इण्डो-ब्रिटिश स्थापत्य शैली में एक सुंदर से डाक बंगले का निर्माण कराया गया। इस डाक बंगले में लगे स्मृति-पट पर विन्ढम साहब के बारे में कई जानकारियां दी गयी हैं।
 
सौ से अधिक वर्ष पुराने इस डाक बंगले का जीर्णोद्धार 1996 में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष Bhagwati Prasad Chaudhary जी ने कराया।
 
पर्सी विन्ढम 17 वर्षों तक मिर्ज़ापुर से जुड़े रहे। पहले ब्रिटिश हुकूमत ने 1894 से 1897 तक उन्हें राजा बनारस की रियासत के हिस्से मिर्ज़ापुर का डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट बनाकर भेजा। 
 
फिर वो 1900 से लेकर 1913 तक मिर्ज़ापुर के कलेक्टर रहे। मिर्ज़ापुर के प्रशासनिक इतिहास में पर्सी विन्ढम सबसे लंबे समय तक रहने वाले कलेक्टर रहे। 
 
बाद में विन्ढम साहब ने कुमायूं के कमिश्नर पद की जिम्मेदारी संभाली। कुमाऊं का कमिश्नर रहने के दौरान कुख्यात सुल्ताना डाकू को गिरफ्तार करने में भी उनकी अहम भूमिका थी। 
 
सुल्ताना की गिरफ्तारी के लिए उन्होंने तीरंदाजी में निपुण सोनभद्र के आदिवासियों की भी मदद ली थी। सोनभद्र की दुद्धी तहसील में एक जगह का नाम विन्ढम गन्ज है। 
 
पर्सी विन्ढम कुशल प्रशासक के साथ ही एक अच्छे शिकारी भी थे। कम ही लोग जानते हैं कि पर्सी विन्ढम और प्रसिद्ध पर्यावरणविद और विख्यात शिकारी जिम कॉर्बेट के बीच गहरी दोस्ती थी। 
 
अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Man-Eaters of Kumaon में पौवलगढ़ के बाघ के शिकार की चर्चा करते हुए जिम कॉर्बेट ने लिखा है कि 1923 में इस भयानक बाघ के पदचिन्हों का आकलन मेरे साथ विन्ढम साहब ने भी किया और बताया कि ये बाघ दस फिट लंबा है। 
 
जिम कॉर्बेट यह भी लिखते हैं कि उस समय विन्ढम साहब हिंदुस्तान में बाघों के बारे में सर्वाधिक जानकारी रखने वाले व्यक्ति थे। सात सालों तक यह बाघ जिम कॉर्बेट को चकमा देता रहा और आखिर में 1930 में जिम कॉर्बेट की राइफल की गोली का शिकार हुआ। मरने के बाद नापे जाने पर यह खूंखार नरभक्षी 10 फिट 7 इंच लंबा निकला। 
 
भारत में पाए जाने वाले बाघों में बंगाल टाइगर प्रजाति का यह बाघ शायद सबसे लंबा था, जिसकी लंबाई का अनुमान सात साल पहले ही पर्सी विन्ढम ने उसके पदचिन्हों से लगा लिया था। जिम कॉर्बेट ने अपनी पुस्तक " My India " में भी विन्ढम साहब की खूब चर्चा की है। 
 
पर्सी विन्ढम और जिम कॉर्बेट ने साथ मिलकर केन्या के जंगल मे फॉर्म हाउस के लिए जमीन भी खरीदी थी।
पर्सी विन्ढम का एक दुर्लभ चित्र |


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