यह सती मन्दिर चुनार राजकीय चिकित्सालय और तहसील प्रांगण चुनार के पास स्तिथ है यहा पर जिन स्त्रियों ने अपने पति के साथ सती धर्म का पालन किया था उनकी याद में इसका निर्माण हुआ था भीतर बाहर और मन्दिर के चारो ओर से निकली वट वृक्ष की शाखाओं ने इसे घेर लिया है
अत: यह मंदिर छिन्न ,भिन्न हो गया है इसके बने ताक में भंजन तिवारी और तुलसी सती का नाम अंकित है यहा कई अग्रवाल परिवारों की स्त्रियां भी अपनी पति के साथ सती हुयी है कुछ के नाम भी अंकित किये गए थे और यह माना जाता है
की यह सती मन्दिर पुराने समय से ही अग्रवाल घरानों से सम्बन्ध रखता है नवविवाहित जोड़े गंगा पूजन के बाद अर्थात जिसे वनवार छोड़ना कहते है ततपश्चात इस स्थान का दर्शन करने तथा आशीर्वाद लेने यहा आते है
लेकिन अब तो बहुत से लोगो को इस स्थान का पता भी नही यह सती स्थान लगभग चार सौ वर्ष पुराना है और अब इसकी देखभाल न होने के कारण यह खण्डहर के रूप में बदल गया है ।
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हमारे पूर्वज प्रकृति के उपासक थे, प्रति वर्ष बरगद के वृक्ष की उपासना कर हम सावित्री के दृढ़ संकल्प एवं प्रेम समर्पण को उत्सव रूप में मनाते हैं।
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