चुनार राजकीय डिग्री कालेज स्तिथ शाह हुसैन की गद्दी। मुहम्मद शाह और यहा के तलाब से जुड़े कुछ रहस्य...
यह स्थान चुनार डिग्री कालेज के दाहिनी ओर रेलवे लाईन के बगल में यही पर भगवान विष्णु जी का एक प्राचीन मंदिर भी है। और इस मंदिर के ठीक बगल में स्तिथ है यह मजार या जिसे तकिया कहा भी जाता है। वैसे तो यह फकीर चुनार के निकट भुइली के रहने वाले थे यह वही भुइली है जहाँ महाभारत कालीन भूरिश्रवा का किला था
जो अभी भी यहा खण्डहर के रूप में विधमान है इनके पीर थे शाह हुसैन शाह हुसैन की गद्दी चुनार स्तिथ फुलवड़िया में थी इनके निधन के पश्चात मुहम्मद शाह फुलवड़िया के गद्दी आशिन हुए यह वही फुलवड़िया है जहाँ के तालाब में कमल के फूल खिलते थे और इसी चुनार किले के राजा सहदेवा की सुंदर पुत्री सोनवा यही से कमल का फूल लेकर दुर्गा खोह चुनार में जाकर पूजा अर्चना करती थी
मुहम्मद शाह के अनेक चमत्कार किस्से प्रशिद्ध है एक बार वह मस्जिद में नमाज अदा कर रहे थे एकाएक तैश में आकर वजू के बधने को जोर से दीवारें पर मारा थोड़ी देर बाद तकिए से इनका एक मुर्शिद दौड़ा हुआ आया और इनसे कहने लगा एक गाय तकिए पर चर रही थी पहाड़ से एक शेर ने उस पर झपटा मारा लेकिन तकिया तक आते- आते मर गया इससे प्रमाणित होता है कि इन्होंने शेर के हमले को जानकर ही बधना दीवार पर मारा था जो शेर के लिए काल साबित हुआ
इसी तरह एक और मुहम्मद शाह के किस्से है एक बार मुहम्मद शाह अपने किसी शिष्य के साथ बैठे हुए थे कि एक दूसरे शिष्य ने उन्हें पारश की पत्थर लाकर भेट किया शाह साहब ने उस पारश पत्थर को फुलवड़िया तालाब में फेंक दिया इस पर शिष्य उदास हो गया फिर इन्होंने उस शिष्य से कहा कि उदास ना हो तालाब में डुबकी लगाकर अपना पारस पत्थर ले लो जब शिष्य ने तालाब में डुबकी लगायी तो उसे कई पारस पत्थर हाथ लगे
यह चमत्कार देखकर शिष्य ने शर्मिंदा होकर शाह साहब के चरणों मे गिरकर अपने किये की माफी मांगी और ऐसा जाता है कि पहले इस जगह पर पारस पत्थर निकला करता था इसलिए यह स्थान पारस पत्थर देने वाले तालाब और पारस पहाड़ से भी जाना जाता है ।
यह स्थान चुनार डिग्री कालेज के दाहिनी ओर रेलवे लाईन के बगल में यही पर भगवान विष्णु जी का एक प्राचीन मंदिर भी है। और इस मंदिर के ठीक बगल में स्तिथ है यह मजार या जिसे तकिया कहा भी जाता है। वैसे तो यह फकीर चुनार के निकट भुइली के रहने वाले थे यह वही भुइली है जहाँ महाभारत कालीन भूरिश्रवा का किला था
जो अभी भी यहा खण्डहर के रूप में विधमान है इनके पीर थे शाह हुसैन शाह हुसैन की गद्दी चुनार स्तिथ फुलवड़िया में थी इनके निधन के पश्चात मुहम्मद शाह फुलवड़िया के गद्दी आशिन हुए यह वही फुलवड़िया है जहाँ के तालाब में कमल के फूल खिलते थे और इसी चुनार किले के राजा सहदेवा की सुंदर पुत्री सोनवा यही से कमल का फूल लेकर दुर्गा खोह चुनार में जाकर पूजा अर्चना करती थी
मुहम्मद शाह के अनेक चमत्कार किस्से प्रशिद्ध है एक बार वह मस्जिद में नमाज अदा कर रहे थे एकाएक तैश में आकर वजू के बधने को जोर से दीवारें पर मारा थोड़ी देर बाद तकिए से इनका एक मुर्शिद दौड़ा हुआ आया और इनसे कहने लगा एक गाय तकिए पर चर रही थी पहाड़ से एक शेर ने उस पर झपटा मारा लेकिन तकिया तक आते- आते मर गया इससे प्रमाणित होता है कि इन्होंने शेर के हमले को जानकर ही बधना दीवार पर मारा था जो शेर के लिए काल साबित हुआ
इसी तरह एक और मुहम्मद शाह के किस्से है एक बार मुहम्मद शाह अपने किसी शिष्य के साथ बैठे हुए थे कि एक दूसरे शिष्य ने उन्हें पारश की पत्थर लाकर भेट किया शाह साहब ने उस पारश पत्थर को फुलवड़िया तालाब में फेंक दिया इस पर शिष्य उदास हो गया फिर इन्होंने उस शिष्य से कहा कि उदास ना हो तालाब में डुबकी लगाकर अपना पारस पत्थर ले लो जब शिष्य ने तालाब में डुबकी लगायी तो उसे कई पारस पत्थर हाथ लगे
यह चमत्कार देखकर शिष्य ने शर्मिंदा होकर शाह साहब के चरणों मे गिरकर अपने किये की माफी मांगी और ऐसा जाता है कि पहले इस जगह पर पारस पत्थर निकला करता था इसलिए यह स्थान पारस पत्थर देने वाले तालाब और पारस पहाड़ से भी जाना जाता है ।
V nyc place
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