श्री मति इंदिरा गांधी प.
कमलापति त्रिपाठी एवम इन पंक्तियों के लेखक तथा प.ओंकारनाथ उपाध्य आदि की
मदद से नगर से 4 किमी दूर सुप्रशिद्ध रामसरोवर के निकट एक अत्याधुनिक
सीमेन्ट कारखाना का निर्माण विगत 3 मार्च 1977 से आरम्भ हुआ था इसकी
कुल।
लागत उस समय 85 करोड़ रूपये की थी इसके निर्माण के पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य सीमेन्ट कारपोरेशन के दो कारखाने चुर्क और डाला में चल रहे थे जहाँ वार्षिक उत्पादन क्रमश: 4.80 लाख टन और 4 लाख टन था लेकिन चुनार कजरहट सीमेन्ट की परियोजना के पूरा होने पर यहा उत्पादन बढ़कर 16.80 लाख टन हो गया यहा डाला से आने वाले किलंकर, बोकारो से आने वाले स्लैग और राजस्थान से आने वाले जिप्सम को कारखाने तक पहुचाने की व्यवस्था रेलवे द्वारा हुयी थी
लागत उस समय 85 करोड़ रूपये की थी इसके निर्माण के पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य सीमेन्ट कारपोरेशन के दो कारखाने चुर्क और डाला में चल रहे थे जहाँ वार्षिक उत्पादन क्रमश: 4.80 लाख टन और 4 लाख टन था लेकिन चुनार कजरहट सीमेन्ट की परियोजना के पूरा होने पर यहा उत्पादन बढ़कर 16.80 लाख टन हो गया यहा डाला से आने वाले किलंकर, बोकारो से आने वाले स्लैग और राजस्थान से आने वाले जिप्सम को कारखाने तक पहुचाने की व्यवस्था रेलवे द्वारा हुयी थी
बिजली विभाग ने यहा 27 मेगावाट विधुत आपूर्ति का इंतजाम किया था पहले यह परियोजना 72 करोड़ रूपये तक थी जो बाद में लागत बढ़कर 85 करोड़ की हो गयी यह जापान को छोड़कर एशिया का एकमात्र स्वचालित कारखाना था इसकी विशेषता थी की यहा पहली बार इस्पात कारखानों से निकले स्लैग का उपयोग होता था यह स्लैग मुख्यतः चुना पथ्थर से ही बनता है यहां प्रतिदिन 5 हजार टन सीमेन्ट तैयार होना था
इसे 1979 में बनकर तैयार होना था किंतु यह तैयार हुआ 1981 के प्रथम तिमाही में बड़े उत्साह से कार्य शुरू हुआ इसमें 90 लाख रूपये के कल पुर्जे विदेश से आये थे बाकी 32 करोड़ रूपये के कलपुर्जे देश के ही बने हुए थे फिर एक दिन वह सुभ् दिन भी आया जब औपचारिक रूप से तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मति इंदिरा गांधी ने 27 जून 1981 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया पूरा देश इससे गौरान्वित हुआ सारा कारखाना क्षेत्र विधुत प्रकाश से जगमगाने लगा यहा के उत्पादन को I S I मार्का भी मिल गया |
चुनार सीमेन्ट फैक्ट्री की बिक्री होने लगी और भवन निर्माण निर्माताओं द्वारा इसका खूब उपयोग होने लगा किंतु यहा का उत्पादन गिरा कर्मचारियों के निक़्क़मेपन के कारण और ISI का मार्का भी छीन गया केरोडो रूपये का मुनाफा देने का सपना भी चकनाचूर हो गया और 1996-97 ई. मे एक अवसर ऐसा भी आया की इसे भाजपा शासन काल में बन्द भी कर दिया गया सरकार इसकी घाटा बर्दाश न कर सकी और अब इस कारखाने में लगे कर्मचारी बदहाली की जिंदगी जी रहे है
हालांकि अब थोड़ी उम्मीद जगी है जब से चुनार सीमेंट फैक्ट्री को जपे एंड उसके बाद बिरला सीमेंट ने लिया है फिर बी चुनार का ये फैक्ट्री अपने बेहतर दिनों की रह देख रहा है
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