Friday, 16 June 2017

बूढ़े महादेव (बाबा बूढ़े नाथ) का मंदिर चुनार दुर्ग मिर्जापुर | Baba Budhe Nath Temple Chunar Mirzapur



स्थापत्य शिल्प की अदभुत कृतिया चुनार दुर्ग के दक्षिण भाग में भैरो गुफा के अंदर स्तिथ है जिसे लोकल लैंग्वेज में बाबा बूढ़े नाथ  का मंदिर भी कहते हैं 

इस गुफा की खोज की कथा भी अपने आप में चकित करने वाली है । जैसे की सर्वविदित है चुनारगढ़ का वर्तमान किला एक विशाल विन्ध्यपर्वत खण्ड पर स्तिथ है बाद में इस पर किला बना उस समय चरण् के आकार के होने के कारण इसे चरणादिगढ़ कहा गया कालांतर में चरणादिगढ़ बिगड़ते बिगड़ते चुनार गढ़ हो गया 




इस दुर्ग के निर्माण के भी अदभुत कथाएं लोगो द्वारा कही जाती है तथा अनेक प्राचीन पुस्तक एवम इतिहास में भी मिलते है इसे सामान्य तौर पर पाँच हजार वर्ष से भी प्राचीन माना जाता है 



अतः भैरो गुफा भी इतनी ही पुराणी होनी चाहिए सन 1889 ई में यह गुफा देखी गयी उस समय तक यह गुफा एक पहाड़ी चट्टान सी ढकी हुयी थी जो सम्भवतः प्राचीन काल में नीचे लुढ़क आयी थी हुआ ऐसा की उपरोक्त वर्ष में दुर्ग के बाहरी दीवार की मरम्मत के सिलसिले में इसके चारो ऒर की मिट्टी हटायी जा रही थी



तभी गिरी पड़ी चट्टानों के एक छिद्र से किसी राजगीर को गुफा में स्तिथ मन्दिर में एक मूर्ति की झलक दिख गयी इसकी सूचना तुरन्त उस राजगीर ने किले के अधिकारी को दी उसने आकर मौके का निरीक्षण किया ततपश्चात इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उसे चट्टानो को हटवाकर मन्दिर को साफ कराया



इस गुफा मन्दिर की सुरक्षा हेतु उसके अगले बगल मजबूत दीवारे बनवायी और लोहे का फाटक भी लगवाया मन्दिर में बनी यह मूर्तिया कब की है इसे निश्चित तौर पर कुछ नही कहा जा सकता किंन्तु बड़ी बड़ी चट्टानो पर महादेव, गणेश ,पार्वती ,भैरो आदि हिन्दू देवी देवताओं की इन मूर्तियों को देखते हुए इसे कुछ लोगो ने गुप्तकालीन मानने का आग्रह किया

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