चुनार शहर से 22 किलोमीटर दूर पहाड़ो में बसा यह झरना अपनी अपनी ऐतिहासिक कलाकृतियों के लिए एक अत्यंत प्रसिद्ध स्थल है। यह स्थान पहाड़ो के बीच बसे गुफाओ के लिए भी प्रसिद्ध है। जहाँ हम अनेक प्रकार के पहाड़ी चित्रो से भी अवगत होते है। पहाड़ो पर बने इन घोड़े और पालकी के ऐतिहासिक चित्रो को हम "कोहबर" नाम से जानते है।
अगर आप लखनिया दरी घूमना चाहते है तो सावन माह (जुलाई-अगस्त) अत्यंत उत्तम समय है।सावन के महीने में मिर्ज़ापुर के साथ साथ आस पास के जिले जैसे वाराणसी,भदोही,सोनभद्र,इलाहबाद आदि तथा अन्य प्रदेशो से आने वाले सैलानियो के लिए एक अत्यंत पसंदीदा पर्यटन स्थल है।इसके अलावा रविवार तथा अन्य छुट्टियों के दिनों में लोग यहाँ घूमना पसंद करते है।
लोग बाटी चौखा दाल जैसे व्यंजनों के आनंद के साथ साथ पहाड़ी झरनो का भी लुफ्त उठाते है। लखनिया दरी के खूबसूरत पहाड़ो के बीच बारिश के मौसम में प्रकृति के हरे भरे नज़ारो को झरनो के शोर के महसूस करना वास्तव में अत्यंत रोमांचित कर देने वाला होता है।
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